उन्होंने कहा कि आजकल कथावाचक मुसलमानों और मुस्लिम महिलाओं पर कुछ न कुछ आपत्तिजनक बातें कहते हैं, जिनका जवाब देना जरूरी है। मौलाना ने कहा कि कथावाचक अपने धर्म का प्रचार-प्रसार करें, इसका उनको अधिकार हासिल है। मगर कथावाचकों यह हक हासिल नहीं है कि मुसलमानों या मुस्लिम महिलाओं पर आपत्ति जताएं। मुस्लिम समाज के घरों में झांकने की कोशिश न करें।
इस्लाम में महिलाओं को बड़ा सम्मान दिया गया है
मौलाना ने कहा कि इस्लाम में महिलाओं को बड़ा सम्मान दिया है। कुरान शरीफ में महिलाओं के अधिकारों को लेकर पूरी एक सूरत मौजूद है। इस्लाम ने महिलाओं को सम्मान देते हुए कहा कि मां के पैरों तले जन्नत है। पैगंबर ए इस्लाम ने मर्दों से कहा कि अपनी बीवियों के साथ हुस्न ए सुलूक यानी अच्छे व्यवहार के साथ पेश आओ।
मौलाना ने कथावाचकों को कटघरे मे खड़ा करते हुए कहा कि आप अपने समाज के हितों और समाज के अंदर फैल रही बुराइयों के खिलाफ सुधार की बात नहीं करते, बल्कि मुस्लिम समाज की महिलाओं और उनकी शादी विवाह की बातें करते हैं। मौलाना ने कहा कि कथावाचक मुस्लिम समाज के घरों मे झांकने की कोशिश न करें, यहां पर जो मुस्लिम धर्मगुरु हैं वह मुस्लिम समाज के सुधार के लिए बराबर कोशिश करते रहते हैं।