Ayodhya News: श्रीराम जन्मभूमि परिसर अब त्रेता युग की स्मृतियों को जीवंत करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ा चुका है। रामायणकालीन स्वरूप की कल्पना के अनुरूप 20 एकड़ क्षेत्र में ‘पंचवटी’ विकसित की जा रही है, जो रामलला के भक्तों को न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करेगी बल्कि उन्हें त्रेता युग के प्राकृतिक परिवेश का भी अनुभव कराएगी। राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि राम जन्मभूमि परिसर में विकसित होने वाली पंचवटी न केवल दर्शनीय स्थल होगी, बल्कि यह ध्यान, जप, साधना और रामायण श्रवण जैसी गतिविधियों के लिए उपयुक्त स्थल के रूप में विकसित होगी। यह श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक विश्राम स्थल जैसा होगा।
उन्होंने बताया,इस महत्वाकांक्षी परियोजना का कार्यभार प्रसिद्ध इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी जीएमआर को सौंपा गया है। पहले चरण में 10 एकड़ भूमि पर कार्य शुरू कर चुकी है। पंचवटी का निर्माण परिसर के दक्षिण दिशा में कुबेर टीला के समीप किया जा रहा है। बाकी भूमि को खाली कराया जा रहा है, जैसे-जैसे कंपनी को भूमि उपलब्ध कराई जाएगी, काम आगे बढ़ेगा। पंचवटी क्षेत्र में वृक्षों के साथ-साथ कुंड, जलस्रोत, पुष्पवाटिका और वानप्रस्थ आश्रम जैसी संरचनाएं विकसित की जाएंगी।
रोपे जाएंगे 88 प्रकार के रामायणकालीन पौधे
पंचवटी में रामायण में वर्णित 88 प्रकार के दुर्लभ और औषधीय पौधे भी रोपित किए जाएंगे। जो उस युग के जैविक जीवन और जैविक विविधता को दर्शाएंगे। पीपल, बरगद, बेल, आंवला, आम जैसे वृक्षों के साथ-साथ शमी, सीता अशोक, चंपा, कदंब, पलाश, पारिजात आदि पौधे रोपित किए जाने की योजना है। सीता अशोक का पौधा श्रीलंका से आएगा। विदेश से कुछ अन्य पौधे भी आएंगे।
रामायण का सहारा, त्रेतायुगीन स्वरूप का अध्ययन
पंचवटी का निर्माण केवल सजावटी नहीं बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक प्रामाणिकता के साथ किया जा रहा है। इसके लिए रामायण, विशेषकर वाल्मीकि व तुलसीकृत रामायण के प्रसंगों का अध्ययन किया जा रहा है, ताकि उस युग की पंचवटी का वास्तविक स्वरूप जीवंत हो सके। कार्यदायी संस्था पंचवटी के हर तत्व को त्रेतायुगीन वातावरण के अनुरूप ढालने का प्रयास करेगी। यह पंचवटी केवल एक पर्यटक स्थल नहीं बल्कि, श्रद्धा, ध्यान और साधना के लिए विशेष केंद्र बनेगी।