Bareilly: ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने उन कट्टरपंथी संगठनों की निंदा की, जो धर्म का सहारा लेकर नौजवानों को भड़काते हैं। मौलाना ने कहा कि इस्लाम अमन और शांति का पैगाम देता है। इस्लाम में आतंकवाद, हिंसा और निर्दोषों की हत्या के लिए कोई स्थान नहीं है। निर्दोष लोगों की हत्या और अराजकता फैलाना इस्लामी शरीयत में किसी भी रूप में जायज नहीं ठहराया जा सकता। कुरआन कहता है कि जिसने एक बेगुनाह को कत्ल किया उसने पूरी इंसानियत को कत्ल किया।
इस्राइल और फलस्तीन की जंग के दो साल पूरे होने पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने प्रेसवार्ता की। उन्होंने इस्राइल और फलस्तीन की जंग के लिए हमास को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि दो साल पहले सात अक्टूबर को हमास की हिंसक कार्रवाई ने न केवल इस्राइल-फलस्तीन संघर्ष को और भड़काया बल्कि लंबे समय से चल रही शांति प्रक्रिया को पूरी तरह पटरी से उतार दिया।
हमास के गलत फैसलों से हुई हिंसा
मौलाना ने कहा कि कूटनीतिक प्रयासों और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के जरिए फलस्तीन के लिए न्यायसंगत समाधान की दिशा में कुछ उम्मीदें बन रही थीं, लेकिन हमास के गलत निर्णय ने पूरी प्रक्रिया को विफल कर दिया। इस कार्रवाई से इस्राइल को सैन्य कार्रवाई का बहाना मिला, जिससे दोनों पक्षों के बीच हिंसा और अविश्वास की खाई और गहरी हो गई। नतीजतन, जो राजनीतिक समाधान संवाद और कूटनीति से निकल सकता था, वह अब खून-खराबे और प्रतिशोध के चक्र में फंस गया है।
उन्होंने बताया कि फलस्तीन के शहर गाजा में इस्राइल द्वारा बमबारी से हजारों लोगों की जाने जा चुकी है। पूरा शहर खंडहर बन चुका है, जिसकी तस्वीरों को दुनिया देख रही है। उन्होंने कहा कि इस्राइल को ये सब ज्यादती करने का मौका कट्टरपंथी हमास ने दिया। अगर हमास इस्राइल के नागरिकों को बंधक नहीं बनाता तो ये दिन देखने को नहीं मिलते।
‘कट्टर सोच की नुमाइंदगी करता है हमास‘
शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि कटृरपंथी संगठन हमास इस्लाम की नहीं बल्कि एक कट्टर और राजनीतिक सोच की नुमाइंदगी करता है। यह सोच सूफ़ी परंपरा की मोहब्बत और अमन से कोसों दूर है। फ़लस्तीन के मुद्दे का असली हल शांति, संवाद और राजनीतिक प्रक्रिया के रास्ते से ही संभव है। उलमा ने आगे कहा कि भारत और फलस्तीन के रिश्ते हमेशा अच्छे रहे हैं, जब से गाजा में इस्राइल से जंग शुरू हुई, तो मानवीय आधार पर सबसे पहले भारत सरकार ने राहत सामग्री गाजा के लिए भेजी।