भोपाल\छिंदवाड़ा: मध्यप्रदेश में कफ सिरप ‘कोल्ड्रिफ’ पीने से 16 बच्चों की मौत के मामले की जांच अब पुलिस की 12 सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) करेगी। इस मामले में डॉ. प्रवीन सोनी को गिरफ्तार कर निलंबित कर दिया गया है। आरोप है कि प्रवीण ने ही अधिकतर बच्चों को ये कफ सिरप लिखा था। साथ ही कफ सिरप बनाने वाली कंपनी के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि एसडीओपी जितेंद्र सिंह जाट के नेतृत्व में बनी SIT तमिलनाडु जाएगी और दवा कंपनी के कामकाज की जांच करेगी। मामले की सच्चाई तक जाने के लिए शव पोस्टमार्टम भी किया जाएगा। इसके लिए इस अंतिम पीड़िता दो वर्षीय योगिता ठाकरे के शव को कब्र से बाहर निकाला गया है। अब हुई 16 मौतों में ये पहला पोस्टमार्टम होने जा रहा है।
इलाज जारी, स्थिति गंभीर
छिंदवाड़ा कलेक्टर ने बताया कि 8 बच्चे अभी नागपुर में इलाजरत हैं, जिनमें से तीन की हालत नाजुक बताई जा रही है। वहीं, बैतूल जिले में भी 2 बच्चों की मौत कोल्ड्रिफ सिरप से होने का संदेह जताया गया है।
इस कप सिरप की जांच रिपोर्ट शनिवार रात को सामने आई थी। जांच में पता चला कि इस सिरप में खतरनाक जहरीला रसायन मौजूद है। तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट की लैब की जांच में कोल्ड्रिफ (Coldrif) सिरप में 46.2% डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) पाया गया।
बेहद खरतनाक है ये डायएथिलीन ग्लाइकॉल
डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) ऐसा जहरीला रसायन जो आमतौर पर एंटी-फ्रीज और ब्रेक फ्लूइड में इस्तेमाल होता है। ये मानव शरीर में पहुंचते ही किडनी को पूरी तरह तबाह कर देता है। मध्यप्रदेश सरकार ने तत्काल प्रभाव से कोल्ड्रिफ सिरप और कंपनी की सभी दवाओं की बिक्री पर रोक लगा दी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 6 राज्यों में दवा फैक्ट्रियों की गहन छानबीन शुरू कर दी है।
अधिकारियों ने बताया कि मृतकों के परिवारों को मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा घोषित 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता ट्रांसफर कर दी गई है।
डॉक्टर की गिरफ्तारी पर विरोध
डॉ. प्रवीण सोनी की गिरफ्तारी के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है। वहीं, कांग्रेस ने भी सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए फव्वारा चौक पर धरना-प्रदर्शन का एलान किया है।
पुलिस ने डॉक्टर और कंपनी पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 276 (दवा में मिलावट) और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 27A के तहत केस दर्ज किया है। दोष सिद्ध होने पर इसमें 10 साल से उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है।